अनार की तितली ( Pomegranate Butterfly )
वैज्ञानिक नाम – ड्युडोरीक्स ( वीराकोला ) आईसोक्रेटस ( Deudorix ( Virachola ) isocrates )
गण : लेपिडोप्टेरा
कुल : लाईकेनिडी
अनार की तितली व्यापक रूप से पूरे भारत में एवं आस पास के कई देशों में पाया जाता हैं ।
लक्षण ( Symptoms ) –
• प्रौढ़ नर तितली चमकदार नीले रंग की एवं मादा तितली भूरे रंग की होती हैं ।
• प्रौढों के पंखो का विस्तार 40-50 मि.मी. होता हैं ।
• पूर्ण विकसित लटें 17 – 20 मि.मी. लम्बी , गहरे भूरे रंग की होती है ।
• इस लट के पूरे शरीर पर छोटे – छोटे बाल एवं सफेद रंग के धब्बे पाये जाते हैं ।
क्षति एवं महत्त्व ( Damage and importance ) – अनार की तितली एक बहुभक्षी कीट है जो सेव , बेर , नीबूवर्गीय फलों , अमरूद इत्यादि पौधों को हानि पहुँचाता है । इस तितली की लटें इसके फलों को बहुत हानि पहुँचाती हैं । कुछ क्षेत्रों में अनार की फसल मुख्य रूप से इस कीट द्वारा नष्ट कर दी जाती है । इस कीट का लारवा विकसित हो रहे फलों के अन्दर घुस कर उसके छिलके के बिल्कुल नीचे गुदे एवं बीजों को खा जाता हैं । एक फल में आठ से अधिक लटें भी पाई जाती हैं । इससे ग्रसित फलों में जीवाणु एवं कवकों का प्रकोप होने से सड़न हो जाती है । ग्रसित फल अन्त में गिर जाते है । इन फलों में से दुर्गंध आती है । इस कीट के प्रकोप से 40 से 90 प्रतिशत नुकसान हो जाता है ।
जीवन चक्र ( Life Cycle ) – अनार की तितली वर्ष भर फलों पर अण्डे देते रहते हैं । प्रौढ़ तितली चमकीले सफेद , अण्डाकार आकार के अण्डे , एक एक कर फूलों के कैलिक्स एवं छोटे फलों पर देती है । इन अण्डों से 7-10 दिनों में लटें बाहर आ जाती हैं , जो विकसित हो रहे फलों में घुसकर नुकसान पहुँचाती हैं । यह लटें 18-47 दिनों तक फलों को खाती हैं । यह लटें फलों के अन्दर एवं कभी – कभार फल के डण्ठल से लटक कर कोष अवस्था में परिवर्तित हो जाती हैं । कोष अवस्था 7-34 दिनों की होती हैं । एक वर्ष में चार अतिव्यापी पीढ़ीयाँ होती हैं ।
प्रबन्धन ( Management ) –
सामान्य प्रबन्धन –
• फलों को परिपक्व होने से पूर्व ढ़क देने से नुकसान को कम किया जा सकता हैं ।
• कीट ग्रसित फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए ।
रासायनिक प्रबन्धन –
• इस कीट के प्रकोप से बचाव हेतु डाईमिथोएट 30 ई.सी. दवा या क्यूनॉलफॉस 25 ई.सी. दवा 2.0 मि.मी. प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए ।