कीटों का भौतिक नियंत्रण ( Physical Control of Insect Pest )
इस विधि में भौतिक साधनों जैसे तापमान , ठण्ड , आर्द्रता , प्रकाश , ध्वनि , बिजली ( ऊर्जा ) तथा विकिरण का उपयोग नाशक कीटों को मारने के लिये किया जाता है । भौतिक नियंत्रण विधि अपनाने पर त्वरित परिणाम मिलते हैं तथा यह किसानों में भी लोकप्रिय है परंतु इसमें समय एवं श्रम बहुत लगता है ।
1. तापमान ( Temperature ) : कीटों के परिवर्धन के लिये अनुकूलतम तापमान 10-35 ° C पाया गया है । तापमान का विभिन्न प्रकार से उपयोग करके कई कीट समस्याओं का समाधान किया जा सकता है । उच्च ताप ( 60 – 66 ° C ) पर कीटों को अल्पकाल तक रखने पर अधिकांश कीट मर जाते हैं । इसी प्रकार गर्मियों में कीट ग्रस्त अनाज को यदि 3-4 घंटों तक एक पतली पर्त के रूप में धूप में 52-55 ° C पर रखा जाये तो भण्डारण के सभी कीट नष्ट हो जाते हैं । सब्जियों तथा फलों को निम्न तापमान पर रखकर उन्हें कीटों से बचाया जा सकता है ।
2. प्रकाश ( Light ) : सूर्य का प्रकाश सभी जैविक क्रियाओं के लिए शक्ति प्रदान करता है । ये कीटों के जनन , परिवर्धन तथा वृद्धि को सीधे प्रभावित करता है । प्रकाश का उपयोग रात्रिचर कीटों जैसे तम्बाकू की लट , चने की लट , कातरा , कटुआ लट , सफेद लट के भृंग आदि को आकर्षित कर उन्हें मारने में किया जा सकता है । निपलिंग ( 1937 ) ने विकिरण ऊर्जा ( गामा किरण ) का सबसे सफल उपयोग स्क्रूवर्म फलाई को अमेरिका में नियंत्रित करने के लिये किया था । कुछ कीट प्रकाश से उड़ान की दिशा ज्ञात करते हैं । उदाहरणार्थ टिड्डी दल हमेशा दक्षिण – पूर्व की ओर उड़ते हैं । अतः इस स्थिति का लाभ कीटों के सामान्य जीवन में व्यवधान पैदा करके प्राप्त किया जा सकता है ।
3. आर्द्रता ( Humidity ) : कीटों के परिवर्धन हेतु आर्द्रता उतनी ही आवश्यक है जितना कि तापमान और प्रकाश । अलग – अलग फसलों के नाशक कीटों पर आर्द्रता का प्रभाव भी अलग – अलग प्रकार से पड़ता है । कुछ फसलों में सिंचाई देकर उन्हें कीटों के प्रभाव से बचाया जा सकता है । इसी प्रकार स्थिर पानी अथवा दलदल वाले स्थानों से पानी की निकासी कर वहाँ पर रहने वाले मख्खियों व मच्छरों को नष्ट किया जा सकता है । प्रायः यह देखा गया है कि यदि अनाज में नमी की मात्रा 10 प्रतिशत से कम होती है तो उन पर खपरा भृंग के अलावा अन्य कीटों एवं सूक्ष्म जीवों का प्रकोप नहीं होता । इसलिये सुरक्षित भण्डारण हेतु अनाज में नमी की मात्रा 8 – 10 प्रतिशत तक या इससे कम रखनी चाहिए ।
4. ध्वनि ( Sound ) : कीटों को ध्वनि के द्वारा भी प्रबन्ध किया जा सकता हैं । वर्तमान में कनाडा में उच्च आवृति ( High frequency ) तरंगों का प्रयोग कीटों के नियंत्रण हेतु किया जा रहा है , वहाँ ऐसी इलेक्ट्रोनिक फ्लैशगन का विकास किया है जिससे नर कीटों को बांझ बनाया जा सके ।
5. बिजली ( Electricity ) : आजकल विभिन्न कम्पनियों के अल्ट्रा वायलेट लैम्प के प्रकाश पाश बाजार में उपलब्ध हैं , जो मक्खी , मच्छर एवं अन्य शलभ कीटों को आकर्षित कर उन्हें मारने में सहायता करती हैं ।
कीट नियंत्रण की प्रमुख विधियों ( Different Methods of Pest Control )