कीटों का यांत्रिक नियंत्रण ( Mechanical Control of Insect Pest )
यांत्रिक नियंत्रण में मनुष्य द्वारा विवेकपूर्ण ढंग से यांत्रिक साधनों का प्रयोग किया जाता है व इनका उद्देश्य हस्त तथा हस्तचलित उपकरणों द्वारा कीटों को सीधे ही नष्ट करना होता है , जिससे कीट हमारे भोजन तक नही पहुँच पाता है ।यांत्रिक नियंत्रण विधि प्राचीन, महंगी तथा समय उपयोगी है । इसके अन्तर्गत निम्नलिखित विधियों का उपयोग आता हैं –
1. हाथों द्वारा अण्डों एवं कीटों को एकत्रित कर नष्ट करना ( Collecting and destroying eggs and insects by hand ) : कुछ सीमित क्षेत्रों में फसलों , सब्जियों तथा बागवानी फलों वाले छोटे स्थानों पर अण्ड समूह , डिम्भक अवस्थाएँ और वयस्क कीटों तथा उनके क्षतिग्रस्त भागों को हाथों से एकत्रित कर नष्ट किया जा सकता है । यह विधि एक साथ व एक ही स्थान पर रहने और खाने वाले कीट तथा समूह में अण्डे देने वाले कीटों के विरूद्ध बहुत उपयोगी है जैसे कातरा , बैंगन का तना एवं फल वेधक , गोभी की तितली , तम्बाकू की इल्ली , नींबू की तितली , कदूवर्गीय सब्जियों की लाल भृंग एवं चने की लट् इत्यादि ।
2. हस्तजाल द्वारा ( Hand web ) : कुछ उड़ने वाले अभिगमन करने वाले कीटों को हस्तजालों द्वारा पकड़कर आसानी से नष्ट किया जा सकता है । इससे उनकी संख्या में कमी आती है जैसे टिड्डा , गन्ने का पायरीला , मिली बग , हरा तेला , छाला भृंग , नींबू की तितली इत्यादि ।
3. बाड़ लगाकर ( Fencing ) : इस विधि में खेतों के चारों ओर एक बाड़ लगा देते हैं । इससे रेंगने वाले कीट एक खेत से दूसरे खेत में नहीं जा पाते हैं ।
4. खाई खोदना ( Trenching ) : फसलों को कूदने वाले कीटों से बचाने के लिये खेतों के चारों ओर लगभग 30-60 से.मी. चौड़ी तथा 60 से.मी. गहरी एक खाई खोद देते हैं । टिड्डियों के प्रकोप के समय उनके समूहों को रोकने के लिये आगे बढ़ते हुए फुदकों ( Hoppers ) के दलों के आगे बढ़ने से रोकने के लिये तथा कातरा की लटें अपने अभिगमन के दौरान इन खाइयों में गिरकर नष्ट हो जाती हैं ।
5. वृक्षों के तने पर पट्टी बाँधना ( Tree Banding ) : इस विधि के अनुसार अल्ट्राथीन चद्दर ( 400 गेज ) की 20-30 से.मी. चौड़ी पट्टी को यदि आम के वृक्ष के तने पर भूमि से एक फीट ऊँचा बाँध दिया जाये तो आम के चूर्णी मत्कुण का नियंत्रण प्रभावकारी होता है अथवा ग्रीस जैसे चिपचिपे पदार्थ की चौड़ी ( 5 से.मी. ) पट्टी तने के चारों ओर लगा देने से भी चूर्णी मत्कुण पट्टी के ऊपर नहीं जा पाता है । यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि पट्टी के प्रयोग से पहले वृक्ष के तने की 50 से.मी. चौड़ाई में गीली मिट्टी का लेप कर दिया जाता है ताकि तने की दरारें भर जायें तथा यदि कोई अल्काथीन की चद्दर से चढने का प्रयास करे तो चिकनी सतह के कारण फिसल कर नीचे गिर जाए ।
6. पाश या ट्रेप ( Loop or Trap ) : विभिन्न प्रकार के कीटों को एकत्रित करके नष्ट करने के लिये कई प्रकार के पाशों का उपयोग किया जाता है , जो निम्नानुसार हैं –
( अ ) प्रकाशपाश ( Light Trap ) – इस पाश का उपयोग सामान्यतया रात्रिचर कीटों एवं ऐसे कीटों को आकर्षित करने हेतु किया जाता है जो प्रकाश की ओर आकर्षित होते हैं । प्रकाश पिंजरे में मरक्यूरी वेपर बल्ब , अल्ट्रावायलेट ट्यूब लाईट इत्यादि का उपयोग प्रकाश के रूप में किया जाता है । इनमें से मरक्यूरी वेपर बल्ब कीट आकर्षित करने में अधिक प्रभावशाली होता है । प्रायः प्रकाश पाश या पैट्रोमेक्स ( गैस बत्ती ) या लालटेन द्वारा इनके बहिर्गमन ( Emergence ) की अवधि ( रात्रि 7.30 से 10.30 बजे ) में इनकों रात्रि में जलाकर चौड़े बर्तन में रख देना चाहिए । इस चौडे बर्तन में मिट्टी के तेल सहित पानी ( 595 ) होता है जिसमें कोई कीटनाशक मिला होता है , रात्रि में खेतों के पास रख देते हैं । इसकी रोशनी से सफेद लट के भृंग , कातरा , कटुआ लट , गोभी की लट , ज्वार की लट एवं चने की लट के शलभों ( Moths ) को अण्डे देने पहले ही मार सकते हैं । विशेष तौर पर वर्षा ऋतु में कीटों को नष्ट करने का यह सरल , कम खर्चीला एवं प्रभावी तरीका हैं ।
( ब ) चिपचिपे पाश ( Sticky Loop ) – इस प्रकार के पाशों को बनाने हेतु कार्ड बोर्ड , बोरों , टाट के टुकड़ों , तख्ती तथा कागज पर सरेस , गोंद अथवा दूसरे चिपचिपे पदार्थ के साथ कीटनाशी मिलाकर लगा देते हैं तथा इन्हें खेतों के आस – पास पेड़ों पर अथवा बाँस की सहायता से लटका देते हैं , जिससे कई प्रकार के छोटे कीट यथा माहू ( चेपा ) , हरा तेला , रसाद ( Thrips ) इनसे चिपककर मर जाते हैं । फ्लाई कागज चिपचिपे पाश का एक सर्वोत्तम उदाहरण है , जिसके उपयोग से सेव के अपादक ( Maggot ) कीट की रोकथाम हेतु किया जाता हैं ।
( स ) फेरोमोन ट्रेप ( Pheromone trap ) – फेरोमोन वे रसायन हैं जिन्हें अन्तरजातीय संचार के लिये प्रयुक्त किया जाता हैं तथा गुण में आकर्षी होते हैं , जो नर अथवा मादा कीटों द्वारा प्रजनन के लिये एक – दूसरे को आकर्षित करने हेतु स्रावित किये जाते हैं । इसके प्रयोग से हानिकारक कीट के परजीवी एवं परभक्षी कीट प्रभावित नहीं होते है । इनमें से एक विशेष प्रकार की सुगन्धि निकलती है , जिससे नाशककीट उनकी ओर आकर्षित होते है और वहीं पर प्रपंच में फँस जाते हैं । लिंग फेरोमोन ( Sex Pheromone ) से उपचारित पाश अन्य प्रकार के पाशों की तुलना में अत्यधिक प्रभावी होते हैं । फेरोमोन का प्रयोग हर 50 मीटर की दूरी पर 5 पाश प्रति हैक्टयर की दर लगाना चाहिए । बालवर्म के लिए अलग – अलग ट्रेप बाजार में उपलब्ध हैं जैसे चना , टमाटर एवं कपास के वेधक कीट इनमें एक रबर की गुंडी ( Lure ) होती हैं । फेरोमोन ट्रेप में कीटों की समष्टि के आधार पर कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने अथवा न करने सम्बन्धी निर्णय आधार पर किया जा सकता है ।
7. अन्य क्रियाएँ ( Other ) : नींबू , अमरूद , बेर , अनार आदि फल वृक्षों की छाल भक्षक कीट से बचाव हेतु उनके छिपने की सुरंगों में नुकीले तार को डालकर घुमाने से आसानी से नष्ट किया जा सकता है । इसी प्रकार अनार व अंगूर के फलों को कीटों व अन्य नाशक जीवों से सुरक्षा प्रदान करने के लिये कागज व कपड़े की थैलियाँ चढ़ाकर कर सकते हैं । टिड्डी दल को मशाल तथा फ्लेम थ्रोअर के द्वारा रात्रि में जला सकते हैं ।