खरपतवार के लाभ एवं हानियाँ (Advantages – Disadvantages of Weeds)

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खरपतवार के लाभ एवं हानियाँ ( Advantages and Disadvantages of Weeds )

 

खरपतवार द्वारा हानियाँ ( Disadvantages of Weeds ) – भारतीय कृषि में फसलों को कीट , रोग , खरपतवार , त्रुटि पूर्ण भण्डारण , चूहों आदि कारकों द्वारा भारी हानि पहुंचायी जा रही है । इसमें से सर्वाधिक 30-35 प्रतिशत हानि अकेले खरपतवारों द्वारा होती है ।

1. फसल उत्पादन पर प्रभाव ( Impact on crop production ) : खरपतवार फसल प्रतियोगिता में अधिकांशतः खरपतवार फसलों की अपेक्षा अधिक प्रकाश , जल , पोषक तत्व आदि ग्रहण कर लेते हैं , जिससे उपज में भारी कमी आती है ।

2. फसल उत्पादों की गुणवत्ता में कमी ( Decreased quality of crop products ) : खरपतवारों से केवल फसल की उपज में ही कमी नहीं आती बल्कि इनसे प्राप्त उपज की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जैसे सरसों में सत्यानाशी के बीज मिल जाने से सरसों के तेल में दुर्गन्ध आने लगती है । उसका प्रभाव जहरीला ( Toxic ) हो जाता है , जो मानव में ड्रोप्सी नामक रोग पैदा करता है ।

3. पशुधन उत्पादों की मात्रा व गुणवत्ता में कमी ( Decrease in quantity and quality of livestock products ) : कई खरपतवार पशुओं व उनसे प्राप्त उत्पादों पर बुरा प्रभाव डालते हैं । जंगली प्याजी या जंगली लहसुन पशुओं द्वारा चर लेने से उनके दूध में दुर्गन्ध आने लगती है , जो दूध से तैयार पदार्थों जैसे- घी , मक्खन , पनीर आदि में भी बनी रहती है ।

4. मृदा नमी में कमी ( Loss of soil moisture ) : खरपतवार मृदा में नमी की मात्रा को अवशोषित करके फसलों को हानि पहुँचाते हैं ।

5. भूमि के मूल्य में कमी ( Decrease in the value of land ) : जिन मृदाओं में खरपतवार अधिक पाये जाते हैं , उनकी मृदा उत्पादकता में गिरावट आ जाती है । इन मृदाओं का उपजाऊपन नष्ट हो जाता है । इससे प्रभावित खेत से न केवल उपज कम मिलती है बल्कि प्राप्त उत्पादों का मूल्य भी कम प्राप्त होता है जिससे भूमि का मूल्य गिर जाता है ।

6. खरपतवार कीट व रोगों को शरण देते हैं ( Weeds harbor pests and diseases ) : कुछ खरपतवारों पर फसलों के रोगाणु व कीट शरण लेकर फसलों को क्षति पहुँचाते हैं ।

7. कृषि यंत्रों , मशीनों व पशुओं की क्षमता में ह्रास ( Decreased capacity of agricultural machinery, machines and animals ) : जिन क्षेत्रों में खरपतवारों का प्रकोप अधिक रहता है वहां इनकी रोकथाम के लिए खेत में बार – बार जुताइयाँ व निराई – गड़ाई आदि कर्षण क्रियाएँ करनी पड़ती हैं । इससे बार – बार कृषि यंत्रों , मशीनों , पशुओं आदि से अधिकतम कार्य लेना पड़ता है । कृषि यंत्र व मशीनों में घिसावट होने से उनकी क्षमता शीघ्र कम हो जाती है । पशुओं की क्षमता से अधिक श्रम करवाने से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ।

8. सिंचाई जल की हानि ( Irrigation water loss ) : खरपतवार नहर , तालाब व सिंचाई की नालियों में उगकर पानी के बहाव में अवरोध उत्पन्न करते हैं । इसके अतिरिक्त ये जल को अवशोषित कर लेते हैं ।

9. खरपतवार मनुष्यों के लिए घातक ( Weed is dangerous for humans ) : कुछ खरपतवार मनुष्य के लिए इतने घातक है कि इनके प्रभाव से मृत्यु तक हो सकती है । सरसों के बीज में सत्यानाशी के बीज मिल जाने से तेल में जहरीला प्रभाव ( Toxic effect ) हो जाता है । पार्थेनियम ( गाजर घास ) के पौधे के स्पर्श मात्र से मनुष्य की त्वचा में भयंकर जलन , खुजली व एलर्जी होने लगती है ।

10. पशु स्वास्थ्य के लिए घातक ( Dangerous to animal health ) : चरागाह व चारे की फसलों में उत्पन्न अनेक खरपतवार पशु स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं , बरू घास के कल्ले फूटते समय पशुओं द्वारा चर लेने पर जहरीला प्रभाव पड़ सकता है ।

11. किसान के जीवन स्तर पर प्रभाव ( Impact on farmer’s standard of living ) : खरपतवारग्रस्त क्षेत्रों में किसान को अपनी सारी ऊर्जा खरपतवार नियंत्रण के तरीकों के लिए यंत्र , मशीनें , शाकनाशी दवाइयाँ खरीदने एवं श्रमिकों की व्यवस्था पर लगानी पड़ती है जिसका सीधा प्रभाव किसान की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है ।

12. अन्य हानियाँ ( Other losses ) : अकृषित भूमि से खरपतवार कृषि क्षेत्रों में फैल कर खेतों में फसलों को हानि पहुँचाते हैं । फार्म हाऊस , खाई आदि में पनपने वाले खरपतवार सांप , बिच्छु आदि जहरीले जन्तुओं का आश्रय स्थल बन जाते हैं ।

 

खरपतवार के लाभ ( Advantages of Weeds  ) –

1. मृदा संरक्षण में सहायक ( Helping in soil conservation ) : खरपतवार मृदा संरक्षण में सहायक हैं । इनकी जड़ें मृदा कणों को बांध कर इकट्ठा रखती हैं । इससे मृदा संरक्षण में सहायता मिलती है ।

2. चारे के रूप में खरपतवारों का उपयोग ( Use of weeds as fodder ) : विभिन्न खरपतवार जैसे दूब घास , बथुआ , सेंजी आदि पशुओं हेतु पौष्टिक चारे के रूप में कम मात्रा में काम लिये जाते हैं ।

3. खरपतवारों की औषधीय महत्ता ( Medicinal value of weeds ) : अनेक खरपतवार औषधीय महत्व के होते हैं । आयुर्वेद में खरपतवारों के अनेक पौधों के चिकित्सीय प्रयोग का उल्लेख मिलता है । खरपतवारों से अनेक रोगों के उपचार हेतु दवाइयाँ बनाई जाती है ।

4. खरपतवारों का आर्थिक महत्व ( Economic importance of weeds ) : कांस खरपतवार का उपयोग सदियों से हम मकानों के छप्पर बनाने में करते आये हैं । लैमन घास की पत्तियों से निकाले तेल का प्रयोग आजकल सौन्दर्य प्रसाधनों में किया जाने लगा है । कांस के मजबूत तने ( Culm ) मूडे , फर्नीचर आदि तैयार करने के काम आते हैं ।

5. मृदा सुधार हेतु ( Soil improvement ) : दलहनी खरपतवारों की जड़ों में पाई जाने वाली जीवाणु ग्रन्थियाँ मृदा में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती है । इससे मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है । सैंजी , सत्यानाशी , अडूसा जैसे खरपतवारों का प्रयोग तो क्षारीय मृदा सुधार में भी किया जाता है ।

6. खरपतवारों का सजावट के रूप में प्रयोग ( Use of weeds as decoration ) : कुछ खरपतवार जैसे लैन्टाना कैमरा ( जरायन ) का उपयोग सड़क किनारे व बगीचों में सजावटी रूप से बाड़ ( Hedge ) लगाने के रूप में किया जाता है ।

7. जैविक कीट – रोग नियंत्रण ( Biological Pest – Disease Control ) : में कुछ खरपतवारों का उपयोग जैविक कीट रोग नियंत्रण में किया जाने लगा है । जैसे हुल हुल खरपतवार के पौधे से आने वाली तीक्ष्ण गंध कीटों को दूर रखने में सहायक है ।

8. अन्य उपयोग ( Other uses ) : बथुआ , जंगली चौलाई तथा लेहसुआ खरपतवारों का प्रयोग पौष्टिक शाक – सब्जी के रूप में किया जाता है । मोथा खरपतवार के ट्यूबर अगरबत्ती बनाने में काम आते हैं । कासनी खरपतवार के बीजों को कॉफी के बीजों के साथ पीस कर कॉफी का स्वाद बढ़ाया जाता है ।

 

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