खरपतवार ( Weed )
परिभाषा ( Definition ) – खरपतवार वे पौधे हैं जो अनचाहे स्थान व अनचाहे समय पर उगते हैं ( Weeds are the plants growing out of place and out of time ) ।
खरपतवारों की विशेषताएँ ( Characteristics of weeds ) – खरपतवारों में फसल के पौधों की अपेक्षा उगने , बढ़ने , विस्तृत क्षेत्र में फैलाव की क्षमता आदि अधिक पाई जाती है । जिनका मुख्य कारण खरपतवारों में निम्नलिखित विशेषताओं का पाया जाना है –
1. बीज उत्पादन अधिक होना ( High seed production ) : खरपतवारों में प्रति पौधा बीज संख्या अधिक होने से इनका प्रसार बहुत शीघ्रता से होता है ।
2. अधिक गहरी जड़ें होना ( Deep rooted ) : खरपतवारों की जड़ें फसल के पौधों की अपेक्षा अधिक गहराई तक जाती हैं तथा गहराई पर जाकर पोषक तत्व व नमी का अवशोषण करती हैं ।
3. बीजों की अधिक जीवन क्षमता ( Greater viability of seeds ) : खरपतवार के बीजों की अंकुरण शक्ति फसल के बीजों की अपेक्षा अधिक होती है । इनकी जीवन क्षमता लम्बे समय तक मृदा में पड़े रहने के बावजूद बनी रहती हैं ।
4. फसल व खरपतवार के बीजों में समानता ( Similarity between crop and weed seeds ) : कुछ खरपतवारों के बीज आकार , आकृति , रंग में फसल के बीजों से इतने अधिक मिलते हैं कि इन्हें अलग से पहचान ना अत्यन्त कठिन होता है । सत्यानाशी खरपतवार के बीज सरसों से , आकार व आकृति में अत्यधिक मिलते हैं ।
5. बीजों पर सुरक्षा आवरण ( Seed cover ) : बहुत से खरपतवार जैसे सत्यानाशी , गोखरू आदि पर कांटे , सख्त बाल ऐसे आवरण पाये जाते हैं जिससे मनुष्य व पशु इनके नजदीक नहीं जाते , इस तरह वे अपनी सुरक्षा कर लेते हैं ।
6. वानस्पतिक प्रजनन ( Vegetative reproduction ) : खरपतवारों को यदि बीज बनने से पहले नष्ट कर दे तो भी वे विभिन्न वानस्पतिक भागों द्वारा अपना प्रसारण कर लेते हैं । उदाहरणार्थ मोथा – ट्यूबर्स द्वारा ।
7. प्रत्येक प्रकार की मृदा में वृद्धि करना ( Growing in all types of soil ) : खरपतवार विभिन्न प्रकार की मृदाओं अम्लीय , क्षारीय , लवणीय , जलमग्न या बंजर मृदाओं में भी अपनी वृद्धि कर लेते हैं ।
8. मनुष्य के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव ( Adverse effect on human health ) : बहुत से खरपतवार अपने कड़वे स्वाद व एलर्जिक प्रभाव के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं । पार्थेनियम ( गाजर घास ) के सम्पर्क में आने पर मनुष्यों को एलर्जी , चर्म रोग , एक्जिमा , दमा आदि जानलेवा बीमारियाँ हो जाती हैं ।
9. शीघ्र प्रकीर्णन ( Quick scatter ) : खरपतवारों के बीज फसलों के बीजों से इतने हल्के होते हैं कि वायु द्वारा शीघ्र एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित हो जाते हैं । इसके अलावा खरपतवारों के बीजों पर पाये जाने वाले हुक , बाल , कांटे भी पशुओं द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित होकर प्रकीर्णन में सहायक होते हैं ।
10. कीट – रोग प्रतिरोधक क्षमता की अधिकता ( Insect – disease resistance ) : खरपतवार के पौधों में कीट – रोग आक्रमण सहने की क्षमता फसल के पौधों से अधिक पाई जाती है ।
11. खरपतवार – फसल प्रतियोगिता ( Weed – Crop Competition ) : खरपतवार के बीजों का अंकुरण व पौधों की बढ़वार फसल के पौधों की अपेक्षा शीघ्रता से होती है । ये फसल के पौधों से प्रकाश , नमी , पोषक तत्व व स्थान आदि के लिए संघर्ष करते हैं ।
12. प्रतिकूल जलवायु से अप्रभावित ( Unaffected by adverse climate ) : खरपतवार प्रतिकूल जलवायु दशाओं से अप्रभावित रहते हैं ।
13. खाद – पानी की न्यून आवश्यकता ( Fertilizer – low water requirement ) : खरपतवार के पौधों को जल व खाद ( पोषक तत्वों ) की न्यून आवश्यकता रहती है ।
14. शीघ्र वृद्धि व शीघ्र परिपक्वता ( Early growth and early maturity ) : खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं और शीघ्र परिपक्व हो जाते हैं । गेहूँसा ( फैलेरिस माइनर ) और जंगली चौलाई के पौधे शीघ्र बढ़ कर 60 से 70 दिन में बीज उत्पादन करके अपना जीवन चक्र पूर्ण कर लेते हैं ।