ग्राम्यन ( Domestication ) : परिभाषा, प्राकृतिक वरण एवं कृत्रिम वरण में अंतर

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ग्राम्यन ( Domestication )

 

ग्राम्यन की परिभाषा ( Definition of Domestication ) : मनुष्य द्वारा जंगली प्रजातियों को खेती करने के लिए , उगाने को ग्राम्यन कहते हैं ।

ग्राम्यन , पादप प्रजनन के इतिहास की प्रथम अवस्था है । यह पादप प्रजनन का सबसे महत्त्वपूर्ण चरण है क्योंकि इसके बाद ही पादप प्रजातियां प्रजनन के लिए उपलब्ध हो पाती हैं । ग्राम्यन के कारण फसलों में विसरण ( Shattering ) या तो समाप्त हो गया है या बहुत ही कम हो गया है । अधिकांश फसलों में पकने की अवधि में भी कमी आयी है । सभी फसलों के दानों तथा आमाप में वृद्धि हुई है ।

 

ग्राम्यन के दौरान वरण ( Selection during Domestication ) : किसी भी समष्टि में विभिन्न जीनप्रारूपों वाले पौधे उपस्थित होते हैं । इनमें भिन्नता प्राकृतिक कारकों अथवा मानव क्रियाओं के कारण उत्पन्न हो सकती है । इस आधार पर वरण को दो निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है –

1. प्राकृतिक वरण ( Natural Selection ) : जब वरण का कारण प्राकृतिक कारक जैसे- जलवायु , मृदा , जैविक कारक आदि होते हैं तो इसे प्राकृतिक वरण कहा जाता है ।

2. कृत्रिम वरण ( Artificial Selection ) : मानव द्वारा किए जाने वाले वरण को कृत्रिम वरण कहा जाता है । इसके फलस्वरूप पौधे मानव के लिए अधिक उपयोगी बनते जाते हैं ।

 

प्राकृतिक एवं कृत्रिम वरणों के अभिलक्षणों में अंतर ( Differences in the characteristics of natural and artificial Selections ) –

अभिलक्षण ( Characteristics )

प्राकृतिक वरण ( Natural Selection )

कृत्रिम वरण ( Artificial Selection )

वरण का कारक ( Factor of Choice )

प्राकृतिक कारक

मानव क्रियाएँ

जनन ( Reproduction )

समष्टि के सभी जीनप्रारूपों द्वारा

केवल चयन किए गए जीनप्रारूपों द्वारा

समष्टि अनुकूलन ( Population Optimization )

प्राकृतिक समष्टियों में प्राकृतिक वातावरण में अनुकूलन बढ़ता है

प्रजनन समष्टियों में अनुकूलन बढ़ता है ।

समष्टि में विविधता ( Diversity in Population )

अधिक विविधता बनी रहती है

जिन दशाओं के लिए चयन किया जाता है , उनमें अनुकूलन बढ़ता है, विविधता में कमी आती जाती है ।

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