जैव उर्वरक ( Biofertilizers ) : परिभाषा, लाभ, प्रकार एवं वर्गीकरण

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जैव उर्वरक ( Biofertilizers )

 

परिभाषा ( Definition ) : जैव उर्वरक एक उत्पाद है जो सूक्ष्म जीवों की जीवित एवं सुषुप्त जैव कोशिकाओं जैसे बैक्टिरिया , कवक , एक्टिनोमाइसिटिज , शैवाल आदि एकल या समन्वित समूह है जो किसी वाहक जैसे ठोस पदार्थ या द्रव्य में मिश्रित होता है जो नत्रजन स्थिरीकरण , अनुपलब्ध पौध पोषक तत्वों को पौधों को उपलब्ध कराने , पादप बढ़वार पदार्थो को स्रावित करने एवं साथ ही मृदा की क्रियाशीलता एवं गुणवत्ता तथा पौधों के स्वास्थ्य में वृद्वि करने में उपयोगी है ।

 

जैव उर्वरकों के लाभ ( Benefits of Biofertilizers ) – जैव उवरकों के उपयोग से होने वाले लाभ निम्नानुसार है –

1. जैव उर्वरक पौधों को नाइट्रोजन व फॉस्फोरस की आपूर्ति करते हैं ।

2. ये पोषक तत्वों के सस्ते स्रोत हैं ।

3. कुछ जैव उर्वरकों जैसे एजोटोबेक्टर , एजोला व नीलहरित शैवाल , हार्मोन्स , विटामिन आदि का स्राव करते हैं जिससे पौधों की वृद्धि पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है ।

4. इनके उपयोग से फसलों की उपज में 20-40 प्रतिशत तक वृद्धि होती है ।

5. कुछ जैव उर्वरक एन्टीबायोटिक उत्पन्न करते हैं जिससे मृदा जनित रोगों का प्रभाव कम होता है ।

6. इनके उपयोग से मृदा की भौतिक , रासायनिक एवं जैविक गुणों में सुधार होता है ।

7. नील हरित शैवाल व एजोला नाइट्रोजन के अतिरिक्त सूक्ष्म पोषक तत्व जेसे लोहा , ताँबा , मैंगनीज , जस्ता आदि उपलब्ध कराते हैं ।

 

जैव उर्वरकों का वर्गीकरण ( Classification of Biofertilizers ) –

जैव उर्वरकों में खाद तथा उर्वरकों की तरह पोषक तत्त्व नहीं होते हैं ( अजोला के अलावा ) लेकिन ये पोषक तत्वों को घुलनशील करने , उनको गतिमान करने , अवशोषण करने तथा वाहन करने में मदद करते हैं । जैव उर्वरकों को कई बार बायो इनओकुलेन्ट ( Bio – inoculant ) या सूक्ष्म जीवाणु कल्चर ( Bio – culture ) के नाम से भी पुकारा जाता हैं ।

जैव रसायन कियाओं तथा विशेष पोषक तत्व के प्रति अनुकिया के आधार पर जैव उर्वरकों का वर्गीकरण निम्न प्रकार है –

( अ ) नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु ( Nitrogen fixing bacteria ) – 

• सहजीवी ( Symbiotic ) – सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण को तीन समूहों में विभक्त किया गया है :

1. दलहनी फसलों के साथ सहजीवी । उदाहरण – राइजोबियम , बैक्टीरिया

2. दलहनी फसलों के अलावा पौधों के साथ सहजीवी । उदाहरण – एजोस्पाइरिलम , एसीटोबैक्टर

3. ऐजोला फर्न के साथ सहजीवी । उदाहरण – एनाबिना

• मुक्तजीवी ( Free living ) – मुक्तजीवी को दो भागों में विभक्त किया जाता है :

1. बैक्टीरिया जिनमें परपोषित एवं प्रकाश – संश्लेषी हैं । उदाहरण – ऐजोटोबेक्टर , कलोस्ट्रीडियम , क्लेबसियला

2. नीली हरी शैवाल जो कि प्रकाश संश्लेषी है ।

 

( ब ) फास्फोरस रूपान्तरण ( Phosphorus conversion ) –

• फास्फोरस विलयकारी जीवाणु ( Phosphorus soluble bacteria ) – जो कि अपनी वृद्धि के दौरान कार्बनिक या अकार्बनिक अम्ल बनाते हैं जो कि फॉस्फोरस की विलेयता को बढ़ाकर पौधों को उपलब्ध कराते हैं , जैसे कि बैक्टीरिया ( पी.एस.बी. ) एवं कवक ।

• सहजीवी कवक ( Symbiotic fungus ) – कवक पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाकर मृदा में उपलब्ध फॉस्फोरस के उद्ग्रहण में सहायक होते हैं । साधारणतया फॉस्फोरस विलेयता में इनका योगदान नहीं होता है । उदाहरण – वेसिकूलर अरबस्कूलर ।

 

( स ) कम्पोस्ट उत्प्रेरक ( Compost catalyst ) – कम्पोस्ट के बनाने के लिए उपयोग किये गये कार्बनिक पदार्थों के अपघटन में परपोषी जीवाणुओं का उपयोग किया जाता है जो कि कार्बनिक पदार्थों के कार्बन – नाइट्रोजन अनुपात को कम करने में सहायक होते हैं और उनमें उपस्थित तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाते है । ये जीवाणु बैक्टीरिया , कवक एवं ऐक्टिनोमायसिटीज होते हैं । इनमें ट्राइकोडर्मा , सेल्सूलोमोनास , पेसिलियोमाइसीज , एस्परजिलस आदि प्रमुख है ।

 

( द ) पौध वृद्धिकारक राइजोबेक्टिरिया ( Plant growth rhizobacteria ) – ये जीवाणु पोषक तत्व प्रदान नहीं करते हैं अपितु हार्मोन उत्पादन , पौध कोशिका में विशिष्ट आयन वहन तथा संरक्षण रसायनों के उत्सर्जन के माध्यम से पौध वृद्धि को बढ़ाने में सहायक होते हैं । उदाहरण के लिए सूडोमोनास बैक्टीरिया ।

 

( त ) जिंक विलयकारी जैव उर्वरक ( Zinc soluble Biofertilizers ) – मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे जिंक को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए बेसिलस सुबिटिलिस , थायोबोसिलस थायोक्सिड और सैकोरोमांइस स्पीसिज सूक्ष्मजीवों को जैव – उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है ।

 

( य ) पोटेशियम विलयकारी जैव उर्वरक ( Potassium soluble Biofertilizers ) – पोटेशियम संचलन को बढ़ाने के लिए केले के राइजोस्पेयर से जीवाणु पृथक और विकसित किया गया है जिससे पोटेशियम का आसानी से पौधों द्वारा अवशोषण किया जा सकता है । फ्रैटुरिया ऑरेंटिया की एक नई जीवाणु प्रजाति जो एक बायोइनोकुलर है जिसके प्रयोग से पोटाश उर्वरक का उपयोग कम किया जा सकता है ।

उर्वरक नियंत्रण आदेश , 1985 के अनुसार प्रति ग्राम सूखे वाहक में जीवाणुओं की संख्या ( राइजोबियम / एजेटोबेक्टर / एजोस्पाइरीलियम / एसीटोबेक्टर / फॉस्फोरस घुलनशील बैक्टिरिया / पोटेशियम मोबिलाइजिंग बैक्टीरिया / जिंक विलयकारी बैक्टीरिया ) कम से कम 1×107 या प्रति मिलीलीटर द्रव्य वाहक में जीवाणुओं की संख्या 1×108 होनी चाहिए ।

 

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