जैव प्रौद्योगिकी ( Biotechnology )
परिभाषा ( Definition ) : जैविक कारकों , जैसे सूक्ष्मजीवों , कोशिकाओं और उनके अवयवों के नियंत्रित उपयोग से मानव के लिए उपयोगी उत्पादों या सेवाओं के उत्पादन को जैव प्रौद्योगिकी ( Biotechnology ) कहते हैं ।
पाने संवर्धन ( in vitro Culture ) करके पारजीनी ( Transgenic ) जंतु एवं पादप कोशिकाओं से उत्पाद प्राप्त करने की प्रक्रिया को जैव प्रौद्योगिकी ( Biotechnology ) कहा जाता है ।
जैव प्रौद्योगिकी जिसे अंग्रेजी में Biotechnology कहते हैं , यह शब्द Biology एवं Technology शब्दों को जोड़कर बना है । जैव प्रौद्योगिकी ( Biotechnology ) में विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के सिद्धान्तों का उपयोग करके जैविक कारकों की सहायता से मानव के लिए उपयोगी उत्पादों का सृजन किया जाता है ।
पादप जैव प्रौद्योगिकी ( Plant Biotechnology ) : जब जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग पौधों में आनुवांशिक सुधार या उनके निष्पादन में सुधार आदि के लिए किया जाता है तो उसे पादप जैव प्रौद्योगिकी कहते हैं ।
इतिहास ( History ) : जैव प्रौद्योगिकी एक प्राचीन विज्ञान है , लेकिन आजकल जैव प्रौद्योगिकी का तेजी से बढ़ता महत्त्व आनुवांशिक अभियांत्रिकी के कारण है । आनुवांशिक अभियांत्रिकी द्वारा वांछित जीन को किसी भी जीव से किसी अन्य जीव में स्थानान्तरित किया जा सकता है , जहाँ वह जीन अपनी अभिव्यक्ति करके उपयोगी उत्पाद उत्पन्न कर सकता है । जब मनुष्य , सूक्ष्म जीवों एवं उनके उपयोग के बारे में नहीं जानता था , उस समय भी जैव प्रौद्योगिकी की प्रक्रिया होती थी ।
मनुष्य के लगातार प्रयासों से सूक्ष्मजीवों में नई एवं अति उपयोगी क्षमताएँ पैदा की जा सकती हैं । पुनर्योगज ( Recombinant ) डीएनए तकनीकी द्वारा किसी भी जीव से इच्छित जीन को किसी अन्य जीव में स्थानान्तरित किया जा सकता है । उदाहरणार्थ , मानव में इंसुलिन उत्पादन को कोडित करने वाले जीन को ई . कोलाई ( E. coli ) बैक्टीरिया में स्थानान्तरित करके उत्पादित इंसुलिन का मधुमेह के उपचार में उपयोग हो रहा है ।
आनुवांशिक स्तर पर रूपान्तरित तम्बाकू [ Genetically Modified Tobacco ] में पहली बार 1983 में जीवाणु का एंटीबायोटिक रोधिता का जीन स्थानान्तरित किया गया था ।
1983 में ही केरी मुलिस ( Karry Mullis ) ने [ Polymerase Chain Reaction ( PCR ) ] की खोज की जिससे आणविक विज्ञान के क्षेत्र में क्रान्ति आ गयी ।
पहला पुनर्योगज डीएनए पॉल बर्ग ( Paul Berg ) ने 1972 में पाने तकनीक के द्वारा बनाया ।
स्टानले कोहेन ( Stanley Cohen ) एवं हरबर्ट बोयर ( Herbert Boyer ) ने 1973 में पहली बार सफल पुनर्योगज डीएनए जीव बनाया ।
विभिन्न जीवों से प्राप्त एन्जाइमों का व्यापारिक उत्पादन में उपयोग आदि नवीन जैव प्रौद्योगिकी के उदाहरण हैं ।