पादप रोग विज्ञान ( Plant Pathology )
परिभाषा ( Defination ): ” पादप रोग विज्ञान , कृषि विज्ञान , वनस्पति या जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत पादप रोगों के कारणों , हेतुकी , रोगों से हुई हानि तथा उनके नियन्त्रण के उपायों का अध्ययन किया जाता है ।
ई.जे. बटलर ( E.J. Butler ) को ” भारत में पादप रोग विज्ञान का जनक ” ( Father of Plant Pathology in India ) माना जाता है ।
पादप रोग विज्ञान ( Plant Pathology or Phytopathology ) शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के तीन शब्दों ( i ) फाइटोन – पादप ( Phyton = Plant ) , ( ii ) पैथोज – रोग ( Pathos = ailments ) , ( iii ) लॉगोस या लॉगस – अध्ययन ( Logos or logus = to study ) से हुई है , जिसका अर्थ पादप रोगों का अध्ययन करना होता है ।
शब्दावली ( Terminology ) :-
रोग ( Disease ) : ” रोग एक हानिकारक प्रक्रिया ( Malfunctioning process ) है जो निरन्तर उत्तेजना के कारण होता है जिसके परिणामस्वरूप कुछ पीड़ा उत्पन्न करने वाले लक्षण प्रकट होते हैं । ” उदाहरण- नींबू का कैंकर रोग ।
रोगजनक ( Pathogen ) : ” रोग उत्पन्न करने वाले कारक को रोगजनक कहते हैं । ” उदाहरण – जैन्थोमोनास जीवाणु ।
परजीवी ( Parasite ) : वह जीव , जो दूसरे जीव ( Host ) पर रहकर पोषण प्राप्त करता हुआ वृद्धि एवं गुणन करता है , उसे परजीवी कहते हैं । उदाहरण – फाइटोप्लाज्मा ।
मृतजीवी ( Saprophyte ) : ऐसा जीव , जो अपना पोषण मृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करता है , उसे मृतजीवी कहते हैं । उदाहरण – म्यूकर कवक ।
परपोषी ( Host ) : परजीवी को आश्रय देने वाला जीव अर्थात् एक जीवित जीव , जिस पर परजीवी ( Parasite ) आक्रमण करता है तथा उससे अपना पोषण प्राप्त करता है , उसे परपोषी कहते हैं ।
अतिवर्धन ( Hyperplasia ) : परपोषी की कोशिकाओं की ” संख्या में बढ़ोतरी के कारण होने वाली अत्यधिक वृद्धि को अतिवर्धन कहते हैं ।
अतिवृद्धि ( Hypertrophy ) : परपोषी की कोशिकाओं के ” आकार में बढ़ोतरी के कारण होने वाली असाधारण वृद्धि को अतिवृद्धि कहते हैं ।
अविकल्पी परजीवी ( Obligate parasite ) : ऐसा परजीवी जीव जो केवल अन्य जीवित जीव पर ही वृद्धि व गुणन करता है । जैसे – एल्बूगो
ऊतकक्षय ( Necrosis ) : कोशिकाओं तथा ऊतकों की मृत्यु होना ही ऊतकक्षय कहलाता है ।
हरिमाहीनता ( Chlorosis ) : पौधों के हरे भागों से पर्णहरित नष्ट होने के कारण पीला पड़ना हरिमाहीनता कहलाता है ।
संचरण ( Transmission ) : रोगजनक का एक पौधे से दूसरे पौधे में स्थानान्तरण होना संचरण कहलाता है । उदाहरण – सफेद मक्खी द्वारा टमाटर के पर्ण कुन्चन विषाणु का संचरण ।
संक्रमण ( Infection ) : परपोषी में रोगजनक का स्थापित होना संक्रमण कहलाता है ।
लक्षण ( Symptom ) : एक रोग के कारण पौधे में होने वाली बाह्य एवं आन्तरिक प्रतिक्रियाओं या बदलावों को रोग के लक्षण कहते हैं । जैसे- पर्ण कुंचन रोग , हरिमाहीनता ।
चिह्न ( Sign ) : पौधे के रोगग्रस्त भागों पर दिखाई देने वाला रोगजनक या उसके भाग ही रोग चिह्न कहलाते हैं । जैसे – छाछ्या एवं तुलासिता रोग ।
निवेश – द्रव्य ( Inoculum ) : रोगजनक का वह भाग जो परपोषी पौधे के सम्पर्क में आता है तथा संक्रमण स्थापित करने योग्य होता है , उसे निवेश – द्रव्य / इनोकुलम कहते हैं ।
वाहक ( Vector ) : वह प्राणी जो रोगजनक को एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचारित करता है उसे वाहक या रोगवाहक कहते हैं । जैसे- सफेद मक्खी ।
पाण्डुरता ( Etiolation ) : प्रकाश के अभाव या अन्धकार की वजह से पौधों का पीला पड़ना , पाण्डुरता कहलाता है ।
एकान्तर परपोषी ( Alternate host ) : दो अलग अलग जातियों के परपोषी पौधों में से वह एक पौधा , जो कुछ कवकों का जीवन चक्र पूरा करने के लिए आवश्यक होता है , उसे एकान्तर परपोषी कहते हैं । जैसे – पक्सिनिया ग्रेमिनिस ट्रिटिसाई कवक हेतु बारबरी झाड़ी ।
कवकनाशी ( Fungicide ) : कोई भी पदार्थ ( मुख्यतः रासायनिक यौगिक ) जो कवक के लिए विषैला हो तथा कवक को मारने में सक्षम हो उसे कवकनाशी कहते हैं । जैसे – मैन्कोजेब , थायरम , कार्बेन्डाजिम इत्यादि ।
पैथोवार ( Pathovar = pv. ) : जीवाणु की रोगजनक जाति का एक उप – विभाजन , जो केवल पौधे की एक निश्चित जाति या वंश को ही संक्रमित कर सकता है । जैसे – जैन्थोमोनास एक्जोनोपोडिस पैथो . सिट्राई केवल सिट्रस को ही संक्रमित कर सकता है ।
रोगचक्र ( Disease cycle ) : पौधे में रोग विकास में सम्मिलित घटनाओं का क्रम , जिसमें रोगजनक के विकास की विभिन्न अवस्थाएँ तथा परपोषी पर पड़ने वाला विपरीत प्रभाव शामिल है ।
सर्वांगी ( Systemic ) : ऐसा रसायन या रोगकारक , जो अन्दर ही अन्दर पौधे के शरीर में फैलता है उसे सर्वांगी कहते हैं । जैसे – विषाणु रोगकारक एवं कार्बेन्डाजिम कवकनाशी ।
प्रतिजैविक ( Antibiotic ) : एक सूक्ष्मजीव द्वारा उत्पन्न रासायनिक पदार्थ जो दूसरे सूक्ष्मजीवों के लिए हानिकारक होता है । जैसे- पैनिसिलिन ।
फाइलोडी ( Phyllody ) : पुष्पीय भागों का पत्ती – सदृश संरचना ( Leaf – like structure ) में रूपान्तरण को फाइलोडी कहते हैं । जैसे- तिल का फाइलोडी रोग