बेर की फल मक्खी (Ber Fruit Fly) : लक्षण, क्षति, महत्त्व, जीवन चक्र, प्रबन्धन

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बेर की फल मक्खी ( Ber Fruit Fly )

 

वैज्ञानिक नाम – कार्पोमिया वेसूवियना ( Carpomyia vesuviana )

गण : डिप्टेरा

कुल : टेफराइटिडी

यह कीट भारत , पाकिस्तान , टर्की , चीन इत्यादि क्षेत्रों में पाया जाता हैं ।

 

लक्षण ( Symptoms ) –

• बेर की फल मक्खी कीट की प्रौढ़ मक्खी भूरे पीले रंग की होती हैं

• इसके वक्ष पर भूरे रंग की अनुदैर्ध्य पट्टियाँ होती हैं ।

• पंखों पर धूसर भूरे रंग के धब्बे पाये जाते हैं ।

क्षति एवं महत्त्व ( Damage and importance ) – बेर की फल मक्खी एकलभक्षी ( Monophagous ) कीट है जो बेर की जिजिफस मोरिसियाना एवं जिजिफस जुजूबा प्रजातियों को बहुत नुकसान पहुँचाती हैं । कीट की केवल मैगट ( Maggot ) ही नुकसान पहुँचाती हैं । यह लट मटमैली सफेद रंग की होती हैं । कीट से प्रकोपित फल काणे हो जाते हैं जो खाने लायक नही रहते हैं । ऐसे फल जल्दी पकते हैं व गिर कर नष्ट जाते हैं । इस कीट के प्रकोप से 30 से 100 प्रतिशत तक नुकसान हो जाता हैं ।

जीवन चक्र ( Life Cycle ) – कीट सर्दियों में सक्रिय होता है एवं अप्रैल से अगस्त में भूमि में कोष अवस्था में शीतनिष्क्रियता में रहता है । प्रौढ़ मक्खी , बेर में फूल एवं फल निकलने के दौरान , कोष अवस्था से बाहर निकलती है । इसकी प्रौढ़ मक्खियाँ तेजी से उड़ने में सक्षम होती हैं परन्तु मादा मक्खियों को अविकसित फलों पर अण्डे देने के समय आसानी से पकड़ा जा सकता हैं । मादा मक्खी फल की त्वचा में 1.0 मि.मी. अन्दर छेद करके एक या दो तन्तुनुमा आकार के अण्डे देती हैं । उस स्थान के आसपास फल में कोई वृद्धि नही होती हैं एवं फलों का आकार विकृत हो जाता हैं । अण्डों से 2-3 दिन में मैगट बाहर निकल कर गुदे ( Flesh ) को खाती हैं । जिससे फल गुठली के पास से सड़ जाते हैं । एक फल में 18 मैगट तक पाये जा सकते हैं । मैगट 7-10 दिनों में पूर्ण विकसित होकर त्वचा से बाहर आ जाते हैं एवं भूमि में 6-15 से.मी. गहराई में जाकर उचित स्थान पर कोष में परिवर्तित हो जाते हैं । कोष अवस्था 14-30 दिनों की होती हैं । इस कीट का सबसे छोटा जीवन चक्र 24 दिनों का होता हैं । एक साल में 2-3 पीढ़ीयाँ पाई जाती हैं ।

प्रबन्धन ( Management ) –

सामान्य प्रबन्धन –

• कीट को नियंत्रण करने हेतु मई – जून एवं दिसम्बर – जनवरी माह के महीनों में वृक्षों के आसपास अच्छी गुड़ाई कर देनी चाहिए ।

• कीटों से क्षतिग्रस्त फलों को रोजाना एकत्रित करके दो फीट गहरा जमीन में दबा देना चाहिए या पशुओं को खिला देना चाहिए ।

रासायनिक प्रबन्धन –

• अक्टूबर नवम्बर में जब फल , मटर के दानें के आकार के , हो जाये तब पेड़ों पर मिथाइल डिमेटोन 25 ई.सी. या डाईमिथोएट 30 ई.सी. दवा एक मि.मी. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए । इसे मध्य दिसम्बर में फिर से दोहराना चाहिए ।

 

खपरा भृंग ( Khapra Beetle )

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