शस्य विज्ञान ( Agronomy ) महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

0

 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

 

• विज्ञान की वह शाखा जिसमें फसल उत्पादन व मृदा प्रबन्धन के सिद्धान्तों व क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है , शस्य विज्ञान कहलाती है ।

• शस्य विज्ञान द्वारा कर्षण , उन्नत बीज , खाद व उर्वरक , सिंचाई व खरपतवार प्रबन्धन , पौध संरक्षण , कटाई , गहाई , भण्डारण व प्रक्रमण का समाधान किया जाता है ।

• मृदा उर्वरता को प्राकृतिक कारक एवं कृत्रिम कारक प्रभावित करते हैं ।

• फसल उत्पादन की अनुकूल परिस्थितियों में किसी मृदा की फसल पैदा करने की क्षमता को मृदा उत्पादकता कहते हैं । इसे साधारणतया रुपयों में या प्रति हैक्टर उपज के रूप में मापते हैं ।

• उत्पादक मृदा निश्चित रूप से उर्वर होती है परन्तु उर्वर मृदा सदैव उत्पादक नहीं हो सकती ।

• भूमि के कणों को अपने स्थान से हटने एवं अन्यत्र स्थानान्तरित होने की क्रिया को मृदा क्षरण कहते हैं । मृदा क्षरण दो प्रकार का होता है ( 1 ) प्राकृतिक क्षरण , ( 2 ) त्वरित क्षरण ।

• मृदा को विभिन्न क्षरण शक्तियों द्वारा काटने एवं स्थानान्तरित होने से बचाने के उपायों को मृदा संरक्षण कहते हैं ।

• बीज चार प्रकार के होते हैं – ( अ ) केन्द्रक बीज ( ब ) प्रजनक बीज ( स ) आधार बीज एवं ( द ) प्रमाणित बीज । किसी भी फसल का उत्तम बीज प्रयोगशाला से किसानों तक उपरोक्त चार चरणों में उत्पादित होकर पहुँचता है ।

• बीजोत्पादन में आनुवंशिक शुद्धता को बनाये रखने के लिए फसल की किन्हीं दो किस्मों के मध्य एक निश्चित दूरी बनाये रखना आवश्यक है जिसे पृथक्करण दूरी कहते हैं । भिन्न – भिन्न फसलों के लिए अलग – अलग पृथक्करण दूरी होती है ।

• सुषुप्तावस्था बीज की वह अवस्था है जब इसकी सक्रिय वृद्धि कुछ काल के लिए निलम्बित हो जाती है , जिससे बीज का अंकुरण नहीं हो पाता है । ये प्राकृतिक , द्वितीयक अथवा बलकृत होती है ।

 

******

 

1. एग्रोनोमी किस भाषा के शब्दों से बना है –

( अ ) लैटिन   ( ब ) जर्मन

( स ) ग्रीक    ( द ) अंग्रेजी

 

2. मृदा उर्वरता को प्रभावित करने वाला प्राकृतिक कारक है –

( अ ) पैतृक पदार्थ   ( ब ) जलाक्रान्ति

( स ) मृदा पी.एच.    ( द ) मृदा जुताई का ढंग

 

3. मृदा उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारक हैं –

( अ ) मृदा उर्वरता     ( ब ) मृदा की भौतिक दशा

( स ) मृदा की स्थिति   ( द ) उपरोक्त सभी

 

4. निम्न में से कौनसा वृक्ष रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाया जाता है जो वायु क्षरण को रोकने में सहायक है –

( अ ) खेजड़ी   ( ब ) सेवन

( स ) अंजन     ( द ) न्यूटन्स

 

5. आधार बीज का स्रोत है –

( अ ) केन्द्रक बीज    ( ब ) प्रजनक बीज

( स ) प्रमाणित बीज   ( द ) इसमें से कोई नहीं

 

6. प्रमाणित बीज पर किस रंग का टैग लगा रहता है ?

( अ ) पीले रंग का     ( ब ) सफेद रंग का

( स ) नीले रंग का    ( द ) काले रंग का

 

******

 

1. शस्य विज्ञान को परिभाषित कीजिए । 

– विज्ञान की वह शाखा जिसमें फसल उत्पादन व मृदा प्रबन्धन के सिद्धान्तों तथा क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है शस्य विज्ञान कहलाती है ।

 

2. शस्य विज्ञान की आवश्यकता किन क्षेत्रों में है ? 

– कृषि उत्पादन में , नियोजन में , व्यवसाय में , उद्योग में ।

 

3. मृदा उत्पादकता को परिभाषित कीजिए ।

– मृदा उत्पादकता का अभिप्राय उसकी प्रति हैक्टर पैदावार देने की क्षमता से है । इसको साधारणतया रुपयों में या प्रति हैक्टर उपज के रूप में व्यक्त हैं ।

 

4. मृदा क्षरण की परिभाषा लिखिये ।

– भौतिक रूप से मिट्टी के कणों का अपने स्थान से हटने की क्रिया को मृदा क्षरण कहते हैं । मृदा का पृथक्करण तथा परिवहन मृदा क्षरण कहलाता है।

 

5. मृदा क्षरण को रोकने के लिए उगाये जाने वाले वृक्षों के नाम लिखें –

– खेजड़ी , शीशम , रोहिड़ा , विलायती बबूल , इज़राइली बबूल ।

 

6. स्थलाकृति का जल क्षरण से क्या सम्बन्ध है ?

– ढालू भूमि पर क्षरण ज्यादा होता है , क्योंकि पानी के बहने की गति तेज होती है। उसकी मिट्टी काटने व बहाने की शक्ति बढ़ जाती है । अधिक ढाल पर जल को भूमि में सोखने का कम समय मिलता है । ढाल की लम्बाई जितनी ज्यादा होगी उतना ही कटाव ज्यादा होगा ।

 

7. बीज की परिभाषा लिखिये ।

– दाना , फल , पत्ती , जड़ अथवा तने का वह भाग जो अपने समान रूप के स्वस्थ पौधे को जन्म देता है बीज कहलाता है।

 

8. पृथक्करण दूरी से क्या अभिप्राय है ?

– आनुवंशिक शुद्धता को बनाए रखने के लिए फसल की किन्हीं दो किस्मों के मध्य निश्चित दूरी बनाये रखना आवश्यक है । यह दूरी पृथक्करण दूरी ( Isolation distance ) कहलाती है ।

 

9. बलकृत सुषुप्तावस्था क्या होती है ?

– बलकृत सुषुप्तावस्था बीजों के मृदा में अधिक गहराई में चले जाने के कारण होती है । इसके मुख्य कारण है प्रतिकूल तापक्रम , प्रकाश का पूर्ण अभाव , कार्बन – डाईऑक्साइड की अधिकता व मृदा का अधिक भार ।

 

10. मृदा संरक्षण में पलवार ( Mulching ) का क्या महत्व है ?

– खेत को घास तथा पौधों के डंठलों द्वारा ढक कर मृदा क्षरण को काफी कम किया जा सकता है । पलवार वर्षा की बूँदों का मृदा पर सीधे प्रहार को कम करता है तथा जड़ें , तने , पत्तियाँ आदि मृदा की सतह पर पानी बहने के वेग को कम करते हैं । साथ ही मृदा संरचना को भी सुधारते हैं ।

 

11. बीजोत्पादन के लिए बीज का चयन करते समय किन – किन बातो का ध्यान रखना चाहिए ?

– • बीज उत्पादन हेतु प्रजनक / आधार / प्रमाणित बीज ही प्रयोग में लेना चाहिए ।

• इसमें अन्य बीजों का मिश्रण नहीं होना चाहिए ।

• बीज मान्यता प्राप्त बीज उत्पादक संस्थानों या विश्वविद्यालयों अथवा मान्यता प्राप्त संस्थानों से ही क्रय करना चाहिए । यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बीज की किस्म कृषि जलवायु खण्ड में सिफारिश की गई हो तथा उपयुक्त पैदावार देती हो ।

• बीजों को बीज जनित रोगों से बचाव हेतु फफूंदनाशी , कीटनाशी एवं शाकाणु संवर्ध से अवश्य उपचारित करें ।

• बीजों के खाली कट्टे , टैग , लेबल , बिल इत्यादि को सुरक्षित रखें जिससे प्रमाणीकरण संस्था द्वारा मांगने पर प्रस्तुत किये जा सके ।

 

 

 

Share this :

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here