कृन्तकनाशी ( Rodenticides )
परिभाषा ( Definition ) – चूहे, गिलहरी व अन्य कुतरने वाले कृन्तक जन्तुओं ( Rodents ) को मारने में प्रयोग होने वाले रसायनों को कृन्तकनाशी ( Rodenticides ) या मूषकनाशी कहते हैं । यह कृन्तक जन्तु खेतों , घरों , गोदामों आदि स्थानों पर अनाज , फसलों तथा घरेलु एवं खाद्य सामग्री को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं । ये बड़े चालाक , शंकालु , तेजी से वृद्धि करने वाले तथा लगभग सभी जगहों पर पाये जाते हैं ।
कृन्तकनाशियों को हम तीन वर्गों में बाँट सकते हैं –
( अ ) तीव्र ( Acute ) कृन्तकनाशी
( ब ) दीर्घकाली ( Chronic ) कृन्तकनाशी
( स ) धूमक ( Fumigants ) कृन्तकनाशी
( अ ) तीव्र कृन्तकनाशी ( Acute Rodenticides ) – इसके अन्तर्गत एक मात्रा वाले विष आते हैं जिनकी एक खुराक खाने मात्र से चूहे कुछ की घण्टों में मर जाते हैं । उदाहरणार्थ जिंक फास्फाइड , बेरियम कार्बोनेट , अन्टू एवं थेलियम सल्फेट आदि । इन कृन्तकनाशियों से विष प्रलोभन बनाकर काम में लिया जाता हैं । इनमें जिंक फास्फाइड का उपयोग अधिक किया जाता हैं । जिंक फास्फाइड के 2 भाग को 97 भाग बाजरा , ज्वार , मक्का या गेहूँ के दलिया एवं 1 भाग खाने का तेल मिलाकर विष प्रलोभक तैयार कर लेते हैं जिसे कागज अथवा मटकी के छोटे टुकड़े पर रख कर रात को घरों , गोदाम अथवा खेतों में चूहों के आने जाने वाले रास्तों एवं बिल में रख देते हैं एवं विष प्रलोभक के खाने पर चूहों की मृत्यु हो जाती है । इस विष का अवगुण यह हैं कि चूहे उसकी दुर्गन्ध को पहचान लेते हैं व उसके पश्चात् उसे कतई नहीं खाते । अतः उन्हें धोखा देने के लिये 2-3 दिन तक सादा आटे का विषहीन चुग्गा खिलाना चाहिए ताकि चूहों का स्वभाव चुग्गे का खाने का हो जाये और तब विष चुग्गा रख दिया जाये तो इसमें अधिक सफलता मिलती हैं व विष शंकालुता दूर हो जाती हैं ।
( ब ) दीर्घकाली कृन्तकनाशी ( Chronic Rodenticides ) – इसके अंतर्गत बहु मात्रा वाले विष आते हैं जिनसे बना चुग्गा कई बार खिलाना पड़ता हैं । ये रसायन प्रतिस्कन्दक ( Anticoagulants ) भी कहलाते हैं क्योंकि इस विष चुग्गे का 1 सप्ताह तक खिलाने पर रसायन संचयी ( Cumulative ) प्रभाव से चूहों में रक्त के जमाव ( स्कन्दन ) को रोकते हैं । परिणामस्वरूप आन्तरिक व बाहरी रक्तस्राव के कारण चूहे मर जाते हैं । अतः पूर्व प्रलोभन की जरूरत नहीं पड़ती व चूहे इन चुग्गों को बड़े चाव से व बिना भय के खाते हैं । उदाहरणार्थ- वारफेरिन , रोडाफेरन , क्यूमेफुरिल तथा रेक्यूमिन आदि । वारफेरिन का 0.025 प्रतिशत ( सक्रिय तत्त्व ) अनाज के साथ चुग्गे में प्रयोग किया जाता हैं । इनके अतिरिक्त आजकल कुछ नवीन प्रतिस्कन्दक विष भी उपलब्ध हैं जैसे ब्रोमेडियालान ( मूश – मूश , सुपरकेड ) , फ्लोक्यमेफेन , बोडीफेक्यूम ( टेलोन ) तथा क्लोरोफैसीनोन ( डरेट ) जिनका प्रयोग अधिक प्रचलित हैं ।
( स ) धूमक कृन्तकनाशी ( Fumigants Rodenticides ) – इसके अन्तर्गत एल्युमिनियम फास्फाइड आता हैं जो एक प्रमुख धूमक है व इसका उपयोग खेतों में चूहों के बिलों को उपचारित करने में बहुत प्रभावी होता हैं ।